इपीलेप्सी यानि मिरगी मस्तिष्क की एक बीमारी है। यह मस्तिष्क और स्नायु कोशिकाओं के बीच आपसी तालमेल नहीं होने के कारण होता है। मिरगी होने के और भी कई कारण होते हैं मसलन- बिजली का झटका लगना, नशीली दवाओं का अधिक सेवन करना, सिर में तेज चोट लगना, तेज बुखार तथा एस्फीक्सिया जैसे रोग के होने से भी मिरगी के दौरे आते हैं।
स्नायु संबंधी रोग, ब्रेन ट्यूमर, संक्रामक ज्वर से भी मिरगी की बीमारी होती है। इसमें मरीज को दौरा आता है। मिरगी के मरीज इस बात से परेशान रहते हैं कि वे आम लोगों की तरह जीवन जी नहीं सकते। लेकिन उन्हें जीवन से परेशान नहीं होना चाहिए। अगर जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव किए जाए और कुछ घरेलू इलाज नियमित रुप से आजमाया जाए तो मिरगी के मरीज भी बेहतर जिंदगी जी सकते हैं।
बकरी का दूध और मेंहदी - Goat’s Milk and Rosemery
बकरी का दूध मिरगी के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होता है। पाव भर बकरी के दूध में 50 ग्राम मेंहदी के पत्तों का रस मिलाकर रोज सवेरे दो हफ्ता तक पीने से मिरगी के दौरे बंद हो जाते हैं।
तुलसी के पत्तियां - Basil Leaves
तुलसी कई बीमारियों में रामबाण की तरह कम करता है। तुलसी में काफी मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो मस्तिष्क में फ्री रेडिकल्स को ठीक करते हैं। मस्तिष्क की किसी भी प्रकार की बीमारी में अगर रोजाना तुलसी के 20 पत्तियां चबाकर खाया जाए तो यह काफी असरदार होता है।
ब्राह्मी बूटी - Brahmni Leaves
ब्राह्मी के पत्ते हमारे घरों के आसपास खासकर जहां मिट्टी होते हैं, वहां उगते हैं। यह आकार में गोल और घुमावदार होता है। इसे रोज खाली पेट चबा कर खाने से न सिर्फ याददाश्त मजबूत होती है, बल्कि मिरगी के दौरे को भी यह कम करता है।
अंगूर का रस - Grapes Juice
मिरगी के मरीजों के लिए अंगूर का रस काफी फायदेमंद होता है। लगभग आधा किलो अंगूर का रस निकालकर सवेरे खाली पेट पीना चाहिए। इसे छह महीने तक आजमाने से बेहतर परिणाम मिलते हैं।
मिट्टी का लेप - Soil Bath
मिट्टी को पानी में गीला करके मरीज के पूरे शरीर लेप लगा दें। एक घंटे बाद नहा लें। इससे मिरगी के दौरे कम आएगे और मरीज थोड़ा बेहतर महसूस करेगा। यह इलाज काफी कारगर है।
कद्दू - Petha
मिरगी के मरीजों के लिए कद्दू या पेठा सबसे कारगर घरेलू इलाज है। पेठे की सब्जी भी बनाई जाती है और आप इसकी सब्जी का भी सेवन कर सकते हैं, लेकिन इसका जूस रोज़ाना पीने से काफी फायदा होता है।