स्किन का डार्क या फेयर होना स्किन पिगमेंट मेलानिन (Skin Pigment Melanin) पर निर्भर करता है। मेलानिन ही स्किन के टोन और रंग का निर्धारण करता है। जिस स्किन में ज्यादा मात्रा में मेलानिन निकलता है वह ज्यादा दमकती है और जिसमें कम मेलानिन निकलता है वह त्वचा ज्यादा सांवली दिखती है। जिस स्किन में कम मात्रा में मेलानिन निकलता है उसे हाइपोपिगमेंटेड स्किन (Hypo-pigmented Skin) )कहते हैं।
डार्क स्किन हाइपोपिगमेंटेड स्किन है क्योंकि इसमें मेलानिन पिगमेंट की मात्रा कम होती है और जिसके कारण त्वचा का रंग सांवला या काला हो जाता है और कोई ग्लो नहीं रहता है। हालांकि, आजकल प्रदूषित वातावरण में भी धूप के कारण त्वचा का रंग सांवला या काला पड़ जाता है। जिसे सनटैन कहते हैं। स्किन ज्यादा डार्क होना या ग्लो होना कोई बीमारी का संकेत नहीं है।
डार्क स्किन वालों को अधिक देखभाल की जरूरत होती है। इतना ही नहीं बाहरी देखभाल के साथ अपने शरीर को दूसरे तरीकों से पोषण देना भी जरुरी है। डार्क स्किन सिर्फ मेलानिन की ही कमी की वजह से ही नहीं होती है। सिगरेट और शराब के सेवन से भी त्वचा का रंग ऐसा हो जाता है।