चेहरे में सबसे कोमल और मुलायम अंग होता है होंठ। होंठ न सिर्फ चेहरे की खुबसूरती को तय करते हैं बल्कि होंठों से ही चेहरे के हाव-भाव का भी पता लगता है। आँखों और होंठों की प्रतिक्रिया से किसी व्यक्ति के मनोभावों को समझा जा सकता है।
हम अपने होंठों का इस्तेमाल हंसने, खाने में और बोलने में करते हैं। जब हम किसी को चूमते हैं तो होंठ की संवेदनशीलता बढ़ जाती है। दो विपरीत लिंग में अंतरंगता और कामुकता बढ़ाने में होंठ की भूमिका अहम होती है.
1. भोजन ग्रहण - होंठ में खुद की मांसपेशियां होने से यह आसानी से मूवमेंट करती हैं। भोजन को पकड़ कर मुंह में लेने, पानी पीने और चूसने में होंठ की मांसपेशियां खुद से काम करने लगती है। होंठ की त्वचा के अंदर स्नायु तंत्र भी काफी संवेदनशील होती है और कोई भी अवांछित तत्व को खाने-पीने से इनकार करती है।
2. आवाज - हम जो विभिन्न प्रकार की आवाजें निकालते हैं वो होंठों की वजह से ही होता है। होंठ से हम कई तरह की आवाज निकाल सकते हैं। होंठ से ही हम बांसुरी, क्लारनेट और सेक्साफोन जैसे वाद्ध यंत्र पर सुरीली धुन बजाते हैं।
3. हाव-भाव और अभिव्यक्ति - चेहरे की अभिव्यक्ति और हाव-भाव होंठ से समझी जा सकती है। आप जब हंसते है, रोते हैं या उत्तेजित होते हैं तो चेहरे पर इसके भाव होंठ पर ही आते हैं। हंसने या रोने के समय होंठो का खुलना या बंद होना या फिर वक्र बनना या उत्तेजित होने पर होंठ का फूल जाना इसके संकेत हैं।
4. स्पर्श - होंठ की त्वचा के अंदर कई तंत्रिकाएं होती हैं जो स्पर्श इंद्रियों के हिस्से के रूप में प्रतिक्रिया करती हैं। होंठ स्पर्श के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं। गर्मी और ठंढ के संपर्क में आने पर तुरंत प्रतिक्रिया करते हैं। नवजात और छोटे बच्चे अपने होंठ के जरिए ही गर्म, ठंडा और अवांछित चीजों को लेते ही तुरंत प्रतिक्रिया करते हैं।
5. कामोत्तेजना - होंठ की त्वचा के अंदर तंत्रिकाओं का जाल फैला रहता है जिसके कारण होंठ की त्वचा में स्पर्श इंद्रिया काफी सक्रिय रहती हैं। यही वजह है कि होंठ को कामोत्तेजना का क्षेत्र कहा जाता है। चुंबन और अंतरंगता बढ़ाने में होंठ की भूमिका अहम होती है।