गर्भावस्था की दूसरी तिमाही भले सबसे सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन दिनचर्या ठीक ना हो और सावधानी ना बरती जाए तो दुर्घटना कभी भी संभव है। ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी है हर चीज योजना बना कर की जाए। इस दौरान हमेशा खुश रहें। अच्छी किताबें पढ़ें, अच्छा संगीत सुनें या जो भी आपको पसंद हो करें। इसके साथ साथ निम्न बातों पर भी ध्यान दें-
1. खान पान पर विशेष ध्यान दें
अच्छा और हेल्थी खाना खाएं। इस समय बच्चे का शारीरिक औए मानसिक विकास तेजी से हो रहा होता है। इस दौरान हर माह आपका वजन भी कम से कम 2 किलो प्रतिमाह बढ़ना चाहिए। इसलिए खान पान पर विशेष ध्यान दें। भरपूर डेरी प्रोडक्ट खाएं।
2. व्यायाम करें
दूसरी तिमाही में खुद को एक्टिव रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए व्यायाम करते रहना चाहिए। ज्यादा नहीं तो 20- 20 मिनट सुबह और शाम की सैर भी काफी है।
3. रेगुलर चेकअप कराएं
दूसरी तिमाही में रेगुलर चेकअप कराती रहें। जरूरी अल्ट्रा साउंड, खून की जांच, इन्फेक्शन और यूरिन आदि की जांच। साथ ही बच्चे की हार्ट बीट और मूवमेंट, क्रोमोस, प्लेसेंटा और फ्लूइड सम्बंधित जांच भी कराती रहें।
4. कपड़ों की वार्डरोब बदलें
अब कुछ दिन के लिए फिटिंग के कपड़ों को अंदर रख दें और ढीले एयर आरामदायक कपड़े पहनना शुरू करें। संभव हो तो गाउन टाइप ड्रेस या वन पीस ड्रेस पहनें जिसमें पेट पर कोई कसाव ना हो।
5. पेट की मालिश करें
यही समय है जब पेट पर स्ट्रेच मार्क आते हैं। पेट बढ़ने के कारण पेट की त्वचा में खिंचाव पड़ता है ऐसे में स्ट्रेच स्किन को मोइस्चराइज़ करना बेहद जरूरी है। एकदम हल्के हाथों से पेट की मालिश करती रहें।
6. नींद से समझौता ना करें
गर्भावस्था में नींद थोड़ी ज्यादा आती है ऐसे में भरपूर नींद लें। ऐसा करना ना सिर्फ आपको बल्कि बच्चे को भी फायदा देगा।
क्या ना करें
- पीठ के बल ना सोएं बल्कि बायीं करवट लेकर सोएं, चाहें तो पैरों के बीच में सपोर्ट के किये तकिया रखें।
- हाई हील पहनना बंद कर दें
- घुड़सवारी, बार बार सीढ़ियां उतरना चढ़ना और कोई उछल कूद वाले खेल ना खेलें।
- शराब या धूम्रपान ना करें। ऐसा करने से बच्चे के आई क्यू पर फर्क पड़ता है।
- तनाव ना लें।
- डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा ना खाएं।