गर्भावस्था का दूसरा चरण यानि की चौथे महीने से छठे महीने तक का चरण गर्भवती महिला के लिए सबसे आरामदायक होता है। इस महीने तक आते-आते मॉर्निंग सिकनेस खत्म हो जाती है और गर्भवती महिला खुद को ज्यादा रिलैक्स महसूस करती है।
गर्भावस्था के दूसरे चरण में व्यायाम करने से एनर्जी लेवल बढ़ता है। इसके साथ ही व्यायाम करने से शरीर प्रसव पीड़ा सहने योग्य बनता है। दूसरे चरण में हफ्ते में तीन दिन वेट वर्क आउट और तीन दिन कार्डियो की जा सकती है। इसके साथ ही निम्न व्यायाम भी लाभकारी होंगे:-
1- वेट ट्रेनिंग - Weight Training
गर्भधारण के दूसरे चरण में रक्त का वॉल्यूम बढ़ जाता है। आपका प्लासेंटा और बच्चा दोनों ग्रोथ करते हैं ऐसे में वेट ट्रेनिंग बहुत फायदेमंद है। लेकिन इसे कभी खड़े होकर ना करें। बैठकर हल्के वेट को उठाएं। इसके लिए पानी की बोतल लेकर भी वेट ट्रेनिंग की जा सकती हैं।
2- जॉगिंग और टहलना - Jogging and Walking
टहलने या हल्की जॉगिंग से सांस को बेहतर खींचने की ताकत बढ़ती है। मांसपेशियां मजबूत होती हैं और शरीर में ऑक्सीजन का संचार बढ़ता है।
3- तैराकी - Swimming
दूसरे चरण में भी तैराकी के बहुत फायदे हैं। आपकी क्षमता बढ़ती है और बॉडी ज्यादा लचीली और स्ट्रचेबल बनती है। जिससे बच्चे को जन्म देते समय कम परेशानी आती है।
4- योगा - Yoga
दूसरे चरण में योगा जारी रखें। पेट के बाल लेटने वाले या पेट पर दबाव पड़ने वाले योगा ना करे। ऐसे योगा करें जिनसे आपके शरीर ही नहीं मन को भी शांति मिले।
5- साइकिलिंग - Indoor Cycling
इंडोर साइकिलिंग करें। इससे पेट की मसल मजबूत होंगी। लेकिन ध्यान रहे कि पेट पर अनावश्यक दबाव ना पड़े।
6- घर के काम - Home Cleaning Work
घर में झाड़ू, पोछा, बागान को ठीक करना आदि भी व्यायाम से कम नहीं। कुछ दिन बाई को आराम देकर यह काम खुद करें।
तुरंत चिकित्सक को दिखाएं यदि -