अल्ट्रासाउंड एक ऐसी जांच है जिसमें आपके शरीर के विभिन्न हिस्सों को देखने के लिए ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि आपको ध्वनि सुनाई नहीं देगी लेकिन स्क्रीन पर तस्वीर दिखाई देगी। अल्ट्रासाउंड एक्सरे नहीं है और इससे किसी तरह का दर्द भी नहीं होता।
अल्ट्रासाउंड प्रकिया के दौरान अधिकतर एक ही कार्यप्रणाली अपनाई जाती है जो निम्न है:
कई बार शरीर के किसी विशेष हिस्से के लिए की जांच के लिए अतिरिक्त निर्देश दिए जाते हैं जो निम्न हैं:
वक्षस्थल - Breast
यदि डॉक्टर को मरीज के वक्षस्थल में गांठ का अंदेशा होता है तो मरीज से उस जगह के बारें में बताने के लिए कहा जाता है। जांच से यह पता चल सकता है कि गांठ ठोस है या इसमें द्रव भरा हुआ है जिसे सिस्ट कहा जाता है।
अंडकोष - Testicles
कुछ तस्वीरों के लिए मरीज को खड़ा रहने का आदेश दिया जाता है। मरीज को इस प्रकार जोर लगाने के लिए कहा जाता है जैसे मलत्याग के समय करते हैं।
श्रोणि - Pelvis
इस जांच के लिए मरीज को 1 लीटर पानी पीना चाहिए ताकि ब्लैडर पूरा भर जाये। जांच से एक घण्टा पहले पानी पी लेना चाहिए। जांच के दौरान तस्वीरें ली जाएंगी। इसके बाद मरीज को ब्लैडर खाली करने के लिए शौचालय जाने को कहा जाएगा। कुछ और तस्वीरें ली जाती हैं।
उल्ट्रासाउंड एक सामान्य प्रकिया है। जिसके बाद मरीज दैनिक गतिविधियां करना शुरू कर सकता है। जांच के परिणाम डॉक्टर के पास भेज दिये जाते हैं। डॉक्टर मरीज के साथ इन परिणामों को साझा करता है।
यदि आपके कोई मन में अल्ट्रासाउंड को लेकर कोई प्रश्न अथवा चिन्ताएं हों तो अपने डॉक्टर अथवा नर्स से बात करें।