पेशाब की जांच, मूत्र के विभिन्न घटकों और अपशिष्ट तत्त्वों के विश्लेषण के लिए की जाती है| इसके माध्यम से कई रोगों या उनके लक्षणों का पता चलता है। किडनी, मूत्र के द्वारा रक्त में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थों, खनिज, व अन्य पदार्थों को बाहर ले जाने का कार्य करती है।
यह एकदम सुरक्षित जांच है, जिसमें पेशाब का सैंपल लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है। जरूरी नहीं कि इसकी जांच किसी बीमारी में ही करवाई जाए, यह आम शारीरिक उतार-चढ़ाव में भी करवाई जा सकती है।
मूत्र के आधार पर लगभग सौ से भी अधिक परीक्षण किए जाते हैं, जिसकी नियमित जांच में निम्न परीक्षणों को आधार बनाया जाता है:
रंग - Color
बहुत सी बातें मूत्र रंग को प्रभावित करती हैं, जिसमें पानी की मात्रा, खान- पान, दवाइयां व बीमारियां शामिल हैं। विटामिन की खुराक पेशाब के रंग को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा जामुन व चुकंदर आदि के सेवन से पेशाब लाल- भूरा दिखाई देता है।
स्पष्टता - Clarity
सामान्य तौर पर पेशाब स्पष्ट यानि साफ दिखाई देता है, लेकिन कई बार, जीवाणु, खून, वीर्य, बलगम आदि के कारण यह साफ दिखाई नहीं देता।
गंध - Odor
सामान्य स्थिति में पेशाब की गंध ज्यादा तेज नहीं होती, लेकिन तीखी जरूर होती है। कई बार बीमारियों और दवाइयों के कारण इसकी गंध अत्यधिक तेज हो जाती है। इसके अलावा मधुमेह की बीमारी में शुगर का स्तर बढ़ने पर एस्चेरिचिया कोली संक्रमण हो जाता है, जिसकी वजह से गंध और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
विशिष्ट गुरुत्व - Specific Gravity
यह मूत्र में पदार्थों की मात्रा और पानी के संतुलन की जांच करता है। पेशाब में ज्यादा ठोस सामग्री उच्चतम विशिष्ट गुरुत्व कहलाता है। जब आप कोई भी तरल पदार्थ पीते हैं, तब आपको अधिक मात्रा में पेशाब आता है, ऐसी स्थिति को निम्न विशिष्ट गुरुत्व कहते हैं और जब बिना तरल पदार्थ पिए पेशाब आता है, तो उसे उच्च विशिष्ट गुरुत्व कहते हैं।
पोटेंशियल हाइड्रोजन/पीएच - Potential Hydrogen/PH
पीएच यानि पोटेंशियल हाइड्रोजन, मूत्र का अम्लीय या क्षारीय स्वभाव पता लगाने का एक उपाय है। पीएच 4 मूत्र का अम्लीय, पीएच 7 उदासीन (ना अम्ल और ना ही क्षार) और पीएच 9 क्षारीय मान है। मूत्र का पीएच मान अक्सर किडनी से जुड़े रोगों (पथरी) का पता लगाने में सहायता प्रदान करता है।
प्रोटीन - Protein
सामान्य तौर पर मूत्र में प्रोटीन नहीं होता, लेकिन बुखार, अत्यधिक व्यायाम, गर्भावस्था और खासकर किडनी संबंधी रोगों में मूत्र में प्रोटीन पाया जाता है।
ग्लूकोज - Glucose
ग्लूकोज, रक्त में पाया जाने वाला एक प्रकार का शुगर (शर्करा) है, जो सामान्य तौर पर पेशाब में बहुत ही कम या बिलकुल नहीं होता। लेकिन जब खून में रक्त की मात्रा अधिक या मधुमेह का स्तर बढ़ता है, तब पेशाब में ग्लूकोज आने लगता है।
नाइट्राइट - Nitrite
जीवाणु द्वारा होने वाला संक्रमण है, जो यूरिनरी ट्रक्ट इन्फेक्शन (Urinary Tract Infection) का प्रमुख कारण बनता है। यह पेशाब को नाइट्रेट से नाइट्राइट में बदलता है और मूत्र वाहिकाओं को प्रभावित करता है।
मूत्र पथ संक्रमण निदान - Leukocyte Esterase
यह जांच मूत्र में ल्यूकोसाइट्स (सफ़ेद रक्त कोशिका) की उपस्थिती को दर्शाती है, जिसके प्रभाव से यूरिनरी ट्रक्ट इन्फेक्शन (Urinary Tract Infection) जैसी बीमारियां होती है।
कीटोन्स - Ketones
जब शरीर में वसा ऊर्जा के लिए टूटती है, तब शरीर में कीटोन्स पदार्थ बनता है और मूत्र- मार्ग से बाहर निकल जाता है। कीटोन्स की अत्यधिक मात्रा से डायबिटीज़ कीटोएसिडोसिस (Diabetic Keto acidosis) जैसी समस्याएं हो सकती है।
सूक्ष्म विश्लेषण - Microscopic Analysis
इस जांच में कई प्रकार के विश्लेषण होते हैं, जिनमें लाल व सफेद रक्त कोशिकाएं (Red & White Blood Cells), कास्ट्स (Casts), क्रिस्टल (Crystals), परजीवी (Parasites), स्क्वैमस कोशिकाएं (Squamous Cells) आदि की जांच होती है।
पेशाब की जांच (Urine Test) से पहले जामुन, चुकंदर व रूबर्ब जैसे फल नहीं खाने चाहिए, इससे पेशाब के रंग पर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा जांच से पहले व्यायाम और दवाइयों का परहेज़ करें।
पेशाब की जांच घर, डॉक्टर के ऑफिस या जांच केंद्र में की जा सकती है। इसके लिए आपको एक कंटेनर में पेशाब का नमूना एकत्रित करने को कहा जाता है। ये नमूना दिन का पहला होना चाहिए, इसलिए अधिकांश डॉक्टर घर से नमूना लाने को कहते हैं।
यदि महिला मासिक धर्म के दौरान जांच करवा रही हो तो डॉक्टर को पहले बता दे।
नमूना लेने से पहले हाथ अच्छी तरह से साफ करें।
पेशाब के नमूने को कंटेनर में करने से पहले मूत्रमार्ग को अच्छी तरह साफ करें और ध्यान रखें कि पेशाब करते समय अंग कंटेनर से न सटे।
इस दौरान किसी भी प्रकार के कपड़े या पेपर का इस्तेमाल न करें।
पेशाब करने के बाद कंटेनर या शीशी के ढक्कन को अच्छी तरह से लगाकर अपने निरीक्षक को सौंपे।
इसके बाद अच्छी तरह हाथ धोएं और रिपोर्ट आने तक इंतजार करें।
यूरीन कल्चर एक परीक्षण है, जिसके द्वारा जीवाणुओं की पहचान की जाती है। यह जीवाणु यूरिनरी ट्रक्ट इन्फेक्शन (Urinary Tract Infection) जैसी बीमारियों का कारण होते हैं। सामान्य तौर पर मूत्राशय, मूत्र में किसी भी तरह के जीवाणु को शामिल नहीं होने देता, लेकिन कई बार मूत्रमार्ग में यह जीवाणु आ जाते हैं और संक्रमण का कारण बनते हैं।
यह जांच, जीवाणु और अन्य जीवों की बढ़ती स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाता है। यदि पेशाब में जीवाणु, बहुत कम या नहीं नज़र आते हैं, तो ऐसी में जांच का परिणाम नकारात्मक (Negative) होता है और यदि जांच में जीवाणु बड़ी संख्या में पाये जाते है, तो यह सकारात्मक (Positive) होता है।
यूरीन कल्चर जांच में बैक्टीरिया या अन्य जीवाणुओं के परीक्षण के लिए सूक्ष्मदर्शी और रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है।
पेशाब की जांच के दौरान कुछ बातों का खास ख्याल रखा जाता है। जैसे- नमूना लेने के लिए साफ कंटेनर या शीशी, सुबह का पहला मूत्र जांच के लिए इस्तेमाल करें। इसके अलावा कुछ बातें निम्न हैं:
यदि महिला मासिक धर्म के दौरान जांच करवा रही हों तो डॉक्टर को पहले बता दें।
नमूना लेने से पहले हाथ अच्छी तरह से साफ करें।
पेशाब के नमूने को कंटेनर में करने से पहले मूत्रमार्ग को अच्छी तरह साफ करें और ध्यान रखें कि पेशाब करते समय मूत्रमार्ग कंटेनर से न सटे।
इस दौरान किसी भी प्रकार के कपड़े या पेपर का इस्तेमाल न करें।
पेशाब करने के बाद कंटेनर या शीशी के ढक्कन को अच्छी तरह से लगाकर अपने निरीक्षक को सौंपे।
इसके बाद अच्छी तरह हाथ धोएं और रिपोर्ट आने तक इंतजार करें।