मल निरीक्षण एक प्रकार की जांच है, जिसमें मल के नमूने की सहायता से पाचन तंत्र की समस्याओं का पता चलता है। इसके अलावा पोषण अवशोषण में कमी, जीवाणु या विषाणु संक्रमण और कैंसर जैसे रोगों के उपचार के लिए भी मल की जांच की जाती है।
मल विश्लेषण (Stool Test) के लिए मल को एक साफ कंटेनर में डालकर जांच केंद्र में भेज दिया जाता है, जहां कई प्रकार से रासायनिक और सूक्ष्मजैविक जांच की जाती है। मल की जांच इसके रंग, स्थिरता, मात्रा, आकार, गंध, बलगम आदि के आधार पर की जाती है।
इसके अतिरिक्त मल में छुपे रक्त, वसा (Fat), मांस, फाइबर, पित्त, सफ़ेद रक्त कोशिका, शुगर की मात्रा आदि के निदान के साथ- साथ मल का पीएच (PH) मान का पता लगाने के लिए भी मल की जांच की जाती है।
मल जांच में पाचन प्रणाली से जुड़ी समस्याओं, पेट में कीड़ों की जांच, पोषण अवशोषित ना कर पाने आदि की समस्या का पता चलता है। मल जांच जरूरी है क्योंकि:
मल जांच द्वारा पाचन तंत्र, आंतों, अग्न्याशय, एन्ज़ाइम से संबंधित बीमारियों का पता चलता है।
इसकी जांच से दस्त, खूनी दस्त, गैस की समस्या, मितली, उल्टी, कम भूख, सूजन, पेट दर्द व ऐंठन और बुखार जैसे रोगों के लक्षणों का पता लगता है।
मल में छिपे खून की जांच से पेट के कैंसर का भी पता चलता है।
आपने कई बार देखा होगा कि दवाइयों के सेवन से मल प्रभावित होता है, जिसके प्रभाव से इसके रंग, गंध, आकार, मात्रा व अन्य रूपों में बदलाव देखने को मिलता है। इसलिए मल जांच (Stool Test) से लगभग एक हफ़्ता पहले दवाइयों का सेवन छोड़ देने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा एंटीस एसिड्स, एंटी- डायरियल, एंटी- पैरासाइट, एंटीबायोटिक व अन्य दवाओं का परहेज करना बहुत जरूरी है।
यदि मल में खून की जांच की जाने वाली है, तो 2 या दिन पहले से खान- पान को लेकर थोड़ा परहेज करें। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मल निरीक्षण नहीं कराना चाहिए। इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह के बाद ही कोई कदम उठाएं।
मल निरीक्षण के लिए मल का नमूना घर, अस्पताल, या जांच केंद्र में लिया जा सकता है। यदि आपको घर से नमूना लाने के लिए कहा जाता है तो आपको नमूने एकत्र करने के लिए एक विशेष किट दी जाती है। मल जांच के लिए हर तीन दिन में एक नमूना जरूरी होता है। जांच के लिए प्रक्रिया निम्न है:
इस बात का खास ध्यान रखें कि मल का नमूना लेते समय मल में पेशाब न जाए। इसलिए हो सके तो पेशाब, मल त्याग करने से पहले कर लें।
मल में कई तरह के जीवाणु होते है, जो विभिन्न रोगों का कारण बन सकते हैं। इसलिए दस्ताने पहनकर ही मल का नमूना लें। और बाद में अच्छी तरह से हाथ धो लें।
नमूना लेने के लिए आपको एक प्लास्टिक का कंटेनर दिया जाता जिसे आप अपनी टॉइलेट सीट के नीचे लगाकर उसमें मल एकत्रित कर सकते हैं।
यदि कोई व्यक्ति दस्त से परेशान से है तो उसे नमूना लेने के लिए एक बड़ी प्लास्टिक की थैली दी जाती है।
कब्ज की स्थिति में रोगी को एनीमा (एक विशेष थैला) दिया जाता है।
मल का नमूना, एक विशेष पात्र में रखें। इस तरल पदार्थ को बच्चों और पालतू जानवरों की पहुंच से दूर रखें।
मल को थैले या कंटेनर में रखकर जांच केंद्र भेज दिया जाता है।
मल कल्चर जांच या स्टूल कल्चर टेस्ट (Stool Test) के द्वारा शरीर या आंतों में उपस्थित जीवाणुओं और विषाणुओं का पता लगाया जाता है। इससे पेट में होने वाले संक्रमण का पता चलता है। इसके लिए मल को एक साफ कंटेनर या प्लास्टिक की थैली में डालकर जांच केंद्र में भेज दिया जाता है।
यह जांच रासायनिक व सूक्ष्मजैविक प्रक्रिया है, जो हर प्रकार के संक्रमण (Infection) की बढ़ते स्तर का पता लगाने के लिए आवश्यक है। इसमें कई उपक्रम के आधार पर जांच होती है, जो संक्रमण की स्थिति पर निर्भर होती है और उसी के आधार पर मल के नमूनों की संख्या तय की जाती है।
मल कल्चर जांच खूनी दस्त, पेट में गैस, पेट दर्द, टाइफ़ाइड, कोलाइटिस, हैजा, सूजन, उल्टी आदि रोगों के लक्षणों का पता लगाकर उपचार करने में सहायक होता है।
जांच के लिए मल का नमूना घर, अस्पताल, घर या जांच केंद्र में लिया जा सकता है। यदि आपको घर से नमूना लाने के लिए कहा जाता है, तो उस स्थिति में आपको आवश्यकतानुसार नमूने एकत्र करने के लिए एक विशेष किट दी जाती है।
जांच के लिए दो या अधिक नमूनों की जरूरत होती है। हर नमूना एक या अधिक दिनों के पेट साफ होने की अलग क्रियाओं से एकत्रित करें।
मल एकत्रित करने के लिए टॉयलेट में प्रयोग के लिए एक प्लास्टिक ट्रे दी जा सकती है। प्लास्टिक थैला खोलकर टॉयलेट बाउल के ऊपर इस तरह फैलाएं कि मल त्याग करते समय सारा मल थैले में गिरे।
इस पूरी प्रक्रिया में में ये ध्यान रखें कि थैले में लिए हुए मल के नमूने में पेशाब या पानी न गिरे।
यदि कोई व्यक्ति दस्त से परेशान से है तो उसे नमूना लेने के लिए एक बड़ी प्लास्टिक की थैली दी जाती है।
टॉयलेट बाउल से मल का नमूना न लें। इससे रोगी को सही परिणाम नहीं मिल सकता।
अपने मल के नमूने को बच्चों और पालतू जानवरों की पहुंच से दूर रखें। यह तरल पदार्थ एक प्रकार का ज़हर है।
उसके बाद डॉक्टर के क्लीनिक, जांच केंद्र या प्रयोगशाला ले जाएं।
मल का नमूना लेने के बाद जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी (लगभग 30 मिनट या उससे कम) अपने डॉक्टर या प्रयोगशाला तक इस नमूने को पहुंचाना बहुत जरूरी है। यदि नमूना लेते समय कोई दिक्कत हुई हो तो उसे डॉक्टर से जरूर बताएं।