लिपिड प्रोफाइलटेस्ट, खून की जांच द्वारा किए जाने वाली विश्लेषण प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) और ट्राईग्लीसेराइड (Triglyceride) की असामान्यताओं व जोखिम के बारे में पता लगाया जाता है, ताकि समय रहते विभिन्न प्रकार के बीमारियों को रोका या उपचार किया जा सके। यह जांच बीस साल की उम्र के बाद हर व्यक्ति को करानी चाहिए।
शरीर में वसायुक्त पदार्थ लिपिड होता है, जो कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol), काईलोमाईक्रोन (Chylomicron) आदि के रूप में मौजूद होता है। यह लिपिड कई तरह से कार्य करते हैं, जिनमें से कुछ आहार द्वारा तो कुछ शरीर में ही निर्मित होते हैं।
शरीर में कोलेस्ट्रॉल एक संतुलन मात्रा में रहता है, जिसकी अधिक मात्रा होने पर आगे समय के लिए जमा हो जाता है या फिर मल द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है। रक्त में अत्यधिक लिपिड होने पर, खून की नसों (Blood vessel) में कोलेस्ट्रॉल जमने लगता है, जिससे नसें संकुचित (Narrowing) या जाम (Blockage) हो जाती हैं और रक्त संचार सही प्रकार से नहीं हो पाता।
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट (Lipid Profile Test) चार प्रकार का होता है, ये हैं-
1. उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (High Density Lipoprotein Cholesterol) (good cholesterol).
2. निम्न घनत्व लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (Low Density Lipoprotein Cholesterol) (bad cholesterol).
3. अति निम्न घनत्व कोलेस्ट्रॉल कोलेस्ट्रॉल (Very Low Density Lipoprotein Cholesterol).
4. ट्राईग्लीसेराइड कोलेस्ट्रॉल (Triglyceride Cholesterol)
लिपिड प्रोफाइल का सामान्य स्तर
निम्न घनत्व लिपोप्रोटीन का सामान्य स्तर 130-159mg/dl है।
उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन का सामान्य स्तर 60mg/dl है।
ट्राईग्लीसेराइड का सामान्य स्तर 150-199mg/dl है।
उच्च घनत्व अनुपात का सामान्य स्तर 5 है।
कोलेस्ट्रॉल मोम जैसा एक चिकना पदार्थ होता है, जो शरीर के लिए बहुत ही जरूरी है। कोलेस्ट्रॉल की पर्याप्त मात्रा विटामिन डी, हार्मोन्स और पित्त का निर्माण करती है, जो अतिरिक्त वसा (Fat) को पचाने में मदद करते हैं। 3/4 कोलेस्ट्रॉल, लिवर (Liver) से और 1/4 कोलेस्ट्रॉल, भोजन से प्राप्त होता है। लेकिन अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल कई प्रकार की समस्या पैदा कर सकता है।
इस प्रकार की समस्या को एथ्रोसक्लेरोसिस (Atherosclerosis) या हाईपर-कोलेस्टेरॉलेमिया (Hyper-cholesterolemia) कहते हैं, जो समय के साथ बढ़ता रहता है। इसके प्रभाव से शरीर के सभी अंगों में रक्त संचार कम होने लगता है, जिससे दिल का दौरा (heart attack) या सदमा (stroke) जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
निम्न घनत्व लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल - Low Density Lipoprotein Cholesterol
एलडीएल (निम्न घनत्व लिपोप्रोटीन) लिवर द्वारा निर्मित वसा यानि लिपिड को शरीर के सभी भागों तक छोटी- छोटी मात्रा में पहुंचता है। इसकी संतुलित मात्रा शरीर को स्वस्थ रखता है, लेकिन अत्यधिक मात्रा होने से दिल संबंधी रोग हो सकते है। इसीलिए कई बार इसे बुरा कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है।
उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल - High Density Lipoprotein Cholesterol
एचडीएल (उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन) शरीर से अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने में मदद करता है, जो कोलेस्ट्रॉल को लिवर तक पहुंचाता और माल द्वारा बाहर निकालता है। यह कई बार ये सूजन को भी कम करता है। इसलिए इसे अच्छा कोलेस्ट्रॉल कहते हैं।
अति निम्न घनत्व लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल - Very Low Density Lipoprotein Cholesterol
अति निम्न घनत्व लिपोप्रोटीन (वीएलडीएल) में बहुत कम प्रोटीन गुण होते हैं, जिसका मुख्य कार्य लिवर द्वारा निर्मित ट्राइग्लिसराइड को वितरित करना है। इसकी अत्यधिक मात्रा रक्त धमनियों में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाती है, जिसके कारण दिल से जुड़े रोग हो सकते हैं।
ट्राईग्लीसेराइड कोलेस्ट्रॉल - Triglyceride Cholesterol
ट्राईग्लीसेराइड, रक्त में बहुत कम मात्रा में पाया जाने वाला एक प्रकार का वसा है, जो शरीर व मांसपेशियों को ऊर्जा देता है। इसके बढ़ते स्तर से दिल संबंधी रोग निम्न घनत्व लिपोप्रोटीन के मुक़ाबले कहीं ज्यादा होता है।
लिपिड प्रोफाइल प्रभावित होने पर कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) और ट्राईग्लीसेराइड (Triglyceride) के स्तर पर भी प्रभाव पड़ता है, इसलिए लिपिड प्रोफाइलयानि कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) की जांच नियमित समय पर बहुत ही जरूरी है। यह समस्या पूर्वजों से आनुवांशिक तौर पर भी मिल सकती है। इसलिए 45 वर्ष के बाद नियमित समय पर कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) की जांच करवाएं।