एड्स आज दुनियाभर में सबसे अधिक तेजी से फैलने और लोगों को प्रभावित करने वाली बीमारियों में से एक है। एड्स एक ऐसा रोग है जिसमें रोगी के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम हो जाती है और एक समय के बाद शरीर किसी भी प्रकार के संक्रमण से लड़ पाने में असमर्थ रहता है। एड्स की बढ़ती समस्या और इसकी गंभीरता को देखते हुए ही विश्व में हर साल 01 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस (World Aids Day) मनाया जाता है।
प्रतिवर्ष 01 दिसंबर को मनाए जाने वाले विश्व एड्स दिवस (World Aids Day) की शुरुआत सन 1988 में हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा शुरु किए गए कुछ बेहद सफल अभियानों या दिवसों में से "विश्व एड्स दिवस" एक है। इसका उद्देश्य एड्स की बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक बनाना, एड्स (AIDS) से ग्रसित लोगों की मदद के लिए धन जुटाना और एड्स से जुड़े मिथ को दूर करते हुए लोगों को शिक्षित करना है।
साल 2015 में एड्स दिवस की थीम है "गैटिंग टू जीरो" (Getting to Zero), जिसका अर्थ है उस लक्ष्य को प्राप्त करना जहां एड्स से जुड़ा कोई मामला नहीं हो, कोई भेदभाव ना हो, ना ही एड्स से किसी की मौत हो।
यूएनएड्स (UNAIDS) जो विश्व स्तर पर एड्स के लिए काम करने वाली संस्था है, के अनुसार साल 2014 तक लगभग 36 मिलियन लोग एड्स से ग्रसित थे। इससे भी गंभीर तथ्य यह है कि विश्व में करीब 2.5 मिलियन बच्चे भी इस बीमारी से ग्रसित हैं।
एड्स एचआईवी (Human Immuno Deficiency Virus) नामक वायरस के फैलने के कारण होता है जो 1984 में पाया गया था। 1984 में पाए जाने के बावजूद इस बीमारी से अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है जो इस बीमारी की गंभीरता और भयानकता को जाहिर करता है।
भारत में भी एड्स की बीमारी एक गंभीर समस्या का रूप ले चुकी है। भारत विश्व में तीसरा ऐसा देश है जहां एड्स के सर्वाधिक रोगी पाए जाते हैं। नाको (National Aids Control Organization) के अनुसार वर्ष 2011 तक भारत में लगभग 2 मिलियन लोग एचआईवी एड्स (HIV AIDS) से पीड़ित थे। एड्स से भारत में लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत भी हो चुकी है।
अनैतिक यौन संबंध बनाना, गैर कानूनी देह व्यापार, खून चढ़ाते समय की जाने वाली अनदेखी आदि के कारण एड्स सर्वाधिक फैलता है। एड्स के कुछ मुख्य कारण निम्न हैं:
एड्स जितनी गंभीर बीमारी है उससे भी गंभीर है इसके रोगियों के प्रति लोगों के मन में बैठी शंकाएं और गलतफहमियां। सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि एड्स छुआछूत से नहीं फैलता। एड्स के बारे में कुछ गलतफहमियां (Myths of AIDS) निम्न हैं:
उपरोक्त सभी बातों को मेडिकल साइंस पूरी तरह से नकारता है। एड्स के पीड़ितों को दवाइयों के साथ समाज के साथ की भी समान रूप से जरूरत होती है।
विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) और एड्स के प्रति चलाए जा रहे जागरुकता कार्यक्रमों के कारण आज एड्स के नए मामलों में काफी कमी आई है लेकिन इसमें अभी बहुत सुधार की जरूरत है। इस बीमारी से बचने और इसके दूर रहने का एक गुरुमंत्र सबको याद रखना चाहिए और वह है "जानकारी ही बचाव"।