किसी बात से परेशान, आहत या दुखी होकर, व्यक्ति का मन से गहन उदास होना ही तनाव है। तनाव मन से संबंधित है। तनाव (Stress) एक तरह का द्वंद है जो संतुलन और सामंजस्य न बैठा पाने के कारण होता है। जो व्यक्ति तनाव से ग्रसित होता है उसका मन अशांत हो जाता है, भावनाएं स्थिर नहीं रह पातीं। सही और गलत का फैसला करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में संबंधित व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्थितियां दिन-प्रतिदिन खराब होती जाती हैं।
कभी तनाव (Tanav) लेने से व्यक्ति में किसी भी कार्य को बेहतर करने की लगन पैदा हो जाती है लेकिन स्थिति तब बिगड़ती है जब यह तनाव हावी होने लगता है। जब कोई भी व्यक्ति तनाव लेता है तो उसे कई प्रकार की समस्याओं से परेशान होना पड़ सकता है जैसे:
जब कोई व्यक्ति खुद पर दबाव महसूस करता है तब व्यक्ति के शरीर से कुछ खास केमिकल निकलते हैं जो शरीर को ज्यादा ऊर्जा और ताकत देते हैं जिससे आप खुद को सहज महसूस कर सकें। जब खुद को असहज या डरा हुआ महसूस करते हैं तब यह केमिकल उल्टा असर दिखाने लगते हैं। तनाव परिस्थिति पर निर्भर करता है, कोई व्यक्ति साधारण बात पर भी तनाव ले लेता है जबकि कोई व्यक्ति बिल्कुल भी तनाव नहीं लेता। कोई बड़ी- बड़ी बात भी नहीं सोचता जबकि कोई कई छोटी-छोटी बातों को एक साथ सोचता रहता है।