कुष्ठरोग (Leprosy) माइकोबैक्टेरियम लेप्री (Mycobacterium Leprae) और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस (Mycobacterium Lepromatosis) जीवाणुओं के कारण होने वाली एक दीर्घकालिक बीमारी (Chronic Disease) है। यह मुख्य रूप से मानव त्वचा (Skin), ऊपरी श्वसन पथ की श्लेष्मिका (Mucous Membrane of Upper respiratory Track) , परिधीय तंत्रिकाओं (Peripheral Nerves), आंखों और शरीर के कुछ अन्य क्षेत्रों को प्रभावित करती है। यदि कुष्ठरोग (Kushth Rog) का उचित समय पर उपचार न किया जाये तो यह रोग बढ़ सकता है, जिससे त्वचा, नसों, हाथ-पैरों और आंखों में स्थायी क्षति हो सकती है।
कुष्ठरोग सामान्यतः तीन प्रकार का होता है, जो निम्न हैं:
1. तंत्रिका कुष्ठ (Nerve leprosy) - इसमें शरीर के प्रभावित अंगो की संवेदनशीलता समाप्त हो जाती है। उस स्थान पर सुई चुभने पर भी मनुष्य किसी प्रकार का कोई दर्द महसूस नहीं करता।
2. ग्रंथि कुष्ठ (Lapromatus leprosy) - इसमें शरीर के किसी भी भाग में त्वचा से भिन्न रंग के धब्बे या चकत्ते पड़ जाते हैं अथवा शरीर में गांठें निकल आती है।
3. मिश्रित कुष्ठ - इसमें शरीर के प्रभावित अंगों की संवेदनशीलता समाप्त होने के साथ-साथ त्वचा में चकत्ते भी पड़ते हैं और गांठें भी निकलती हैं।
कुष्ठरोग रोग न तो वंशानुगत होता है न हीं यौन-संपर्क के द्वारा फैलता है। वयस्कों की अपेक्षा बच्चों में इस रोग के होने का खतरा अधिक होता है। अतः: जो बच्चे कुष्ठ रोगियों के संपर्क में रहते हैं, उनको इस रोग से बचाव के लिए अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है।
केवल ऐसे संक्रमित कुष्ठ रोगी जिनका बहुत दिनों से उपचार न हुआ हो के संपर्क में आने से कुष्ठ फैल सकता है। इससे पीड़ित लोग भी उपचार के मात्र 2 सप्ताह बाद ही संक्रामक नहीं रह जाते।यदि कुष्ठ रोग अति संक्रामक स्थिति में है, तो परिचारक (Attendant), कुष्ठ रोग की दवाओं का सेवन करके रोग मुक्त रह सकता है।
1995 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन) (डब्ल्यूएचओ) (WHO) के अनुमान के अनुसार कुष्ठरोग के कारण स्थायी रूप से विकलांग हो चुके व्यक्तियों की संख्या 2 से 3 मिलियन के बीच थी। पिछले 20 वर्षों में, पूरे विश्व में 15 मिलियन लोगों को कुष्ठरोग से मुक्त किया जा चुका है। कुष्ठरोग और इसके पीड़ितों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये विश्व कुष्ठरोग दिवस (वर्ल्ड लेप्रसी डे) की स्थापना की गई।
माइकोबैक्टेरियम लेप्री (Mycobacterium leprae) और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस (Mycobacterium lepromatosis) जीवाणु
कुष्ठरोग का इलाज बेहद आसान और कई सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में किया जाता है। कुष्ठ रोग होने पर निम्न उपाय अपनाने चाहिए: