घुटना शरीर का सबसे बड़ा तथा जटिल जोड़ है। यह एक सायनोवियल जोड़ (Sinovial Joint) का उदाहरण हैं। इस जोड़ में मुख्यत चार हड्डियों, लगभग 15 मांसपेशियों के अलावा एक और महत्त्वपूर्ण चीज़ होती है जिसे कारटीलेज (Cartilage) कहते हैं। दैनिक जीवन में चलने-फिरने, चढ़ाव चढ़ने, सैर करने, व्यायाम करने, व्यायाम करने से घुटनों के जोड़ों में स्थित कारटीलेज का क्षय होता है। कारटीलेज में द्रव या कोलोजन, रक्त प्रवाह के अभाव में कठोर होने लगता है।
यह रोग पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है। इसका कारण है महिलाओं में माहवारी बन्द होने पश्चात् स्त्री हारमोन ‘इस्ट्रोजन’ का स्राव काफी कम हो जाता है, जिससे शरीर का वजन बढ़ने व आस्टियोपोरोसिस व कार्टिलेज क्षरण की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
घुटने का दर्द अस्थिरज्जु (Ligament) के फटने से भी होता है। हमारी रोजमर्रा की गतिविधियां जैसे चलना, दौड़ना, उछलना या सीढ़ियां चढ़ने से घुटने (Ghutne ka Dard) पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है। हर दिन के दबाव से घुटने की अस्थिरज्जु में टूट-फूट हो जाती है, जिससे भी जोड़ों का दर्द होता है।
आमतौर पर देखा जाता है कि घुटने के हर दर्द को लोग आर्थराइटिस समझ लेते हैं, जबकि घुटनों में दर्द के कई कारण हो सकते हैं तथा उनका इलाज भी भिन्न-भिन्न है।
अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसका शरीर के जोड़ों और मांसपेशियों पर असर पड़ता है। मरीज के पैरों और हड्डियों के जोड़ों में तेज दर्द होता है, जिससे चलने-फिरने में भी तकलीफ हो सकती है। कुछ खास तरह के अर्थराइटिस में शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं। ऐसे में दर्द के साथ दूसरी समस्याएं भी हो सकती हैं।
बढ़ती उम्र और मोटापे के कारण अकसर घुटनों के दर्द से दो-चार होना पड़ता है। घुटनों के दर्द के कुछ अन्य कारण (Causes of Knee Pain in Hindi) निम्न हैं:
घुटनों के दर्द से निजात पाने का सबसे बेहतर उपाय इससे बचना माना जाता है। डॉक्टरों के अनुसार स्वस्थ जीवनशैली और वजन को नियंत्रण में रखकर इस बीमारी से आसानी से बचा जा सकता है। घुटनों के दर्द से बचाव के कुछ अन्य उपाय निम्न हैं: