जापानी इन्सेफेलाइटिस एक प्रकार का दिमागी बुखार (Dimagi Bukhar) है जो वायरल संक्रमण की वजह से होता है। यह एक खास किस्म के वायरस के द्वारा होता है, जो मच्छर या सूअर के द्वारा फैलते हैं। इस बीमारी का मुख्य वाहक सुअर हैं।
ज्यादातर 1 से 14 साल के बच्चे एवं 65 वर्ष से ऊपर के लोग इसकी चपेट में आते हैं। मस्तिष्क ज्वर, दिमागी बुखार (Dimagi Bukhar) और जापानी इन्सेफेलाइटिस के नाम से पहचानी जाने वाली इस जानलेवा बीमारी का शिकार अधिकांशतः बच्चे ही होते हैं। देश के 19 राज्यों के 171 जिलों में जापानी इन्सेफेलाइटिस का असर है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार सहित दूसरे राज्यों के 60 जिले इन्सेफेलाइटिस से ज्यादा प्रभावित हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त 2012 तक इन्सेफेलाइटिस से यूपी व बिहार में 422 बच्चों की मौत हुई थी। जापानी इन्सेफेलाइटिस का प्रकोप साल के तीन महीने अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में सबसे ज्यादा होता है।
जापानी इन्सेफेलाइटिस या दिमागी बुखार (Dimagi Bukhar) विषाणु यानि वायरस के कारण होता है। जापानी इन्सेफेलाइटिस फैलाने वाले कुछ संभावित विषाणु निम्न हैं:
सुअर के ही शरीर में इस बीमारी के वायरस पनपते और फलते फूलते हैं और उनसे मच्छर इस वायरस को मानव शरीर में पहुँचाने का काम करते हैं. एक बार यह हमारे शरीर के संपर्क आता है, फिर यह सीधा हमारे दिमाग की ओर चला जाता है। दिमाग में जाते ही यह हमारे सोचने, समझने, देखने और सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है। यह वायरस सिर्फ छूने से नहीं फैलता।
दिमागी बुखार से बचने के उपाय निम्न हैं: