हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप की समस्या आजकल बेहद आम होती जा रही है। उच्च रक्तचाप के दौरान मरीज के शरीर में रक्त का प्रवाह बेहद तेज हो जाता है। इस स्थिति में आपके हृदय को अधिक काम करना पड़ता है। आइये जानें इससे जुड़ी अन्य बातें:
रक्त द्वारा धमनियों पर पड़ने वाले दबाव को ब्लड प्रेशर कहते हैं। सामान्यतः हमारी धमनियों में बहने वाले रक्त का एक निश्चित दबाव होता है, जब यह दबाव अधिक हो जाता है तो धमनियों पर दबाव बढ़ जाता है और इस स्थति को उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) से जाना जाता है| लगातार उच्च रक्तचाप शरीर को कई तरीके से हानि पहुंचा सकता है। यहाँ तक की हार्ट फेल भी हो सकता है।
1. सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर - Systolic Blood Pressure
निलयी प्रकुंचन (Ventricular systole) के दौरान रक्त को महाधमनी में धकेलने लिए बायें निलय (Ventricle) के संकुचित होने पर बनने वाला अधिकतम रक्त-चाप सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहलाता है।
2. औसत ब्लड प्रेशर - Blood Pressure Range in Normal Condition)
सामान्य स्वस्थ वयस्क का विश्रामावस्था में सिस्टोलिक प्रेशर का परिसर 100 Hg. से 140 मिमी. पारे के बीच रहता है तथा औसतन 120 मिमी पारे के बीच रहता है।
उच्च रक्तचाप के होने में बहुत सारे फैक्टर्स अहम भूमिका निभाते हैं जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण है आसीन जीवनशैली। शारीरिक श्रम की कमी के कारण भी कई बार यह बीमारी लोगों को परेशान करती है। उच्च रक्तचाप के कई अन्य कारण निम्न हैं:
रक्तचाप (Blood Pressure) बढ़ने पर किस तरह अपना ध्यान रखना इसकी जानकारी होना बेहद जरूरी है। साथ ही समय-समय पर डॉक्टरी जांच इस बीमारी से बचाने में बहुत कारगर होती है। उच्च रक्तचाप से बचने के कुछ प्रमुख उपाय निम्न हैं: