लिवर शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। वह भोजन पचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर में होने वाली चयापचय क्रियाओं (Metabolic Process) में लिवर (Liver) विशेष सहायता करता है।
हैपेटाइटिस लिवर में होने वाली बीमारी है और पीलिया इसका एक लक्षण है। खून में जब बिलीरुबिन (Bilurubin) की मात्रा बढ़ जाती है, तब पीलिया होता है। खून में बिलीरुबिन का स्तर 1 प्रतिशत या इससे कम होता है, लेकिन जब इसकी मात्रा 2.5 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है, तब लिवर कमजोर हो जाता है।
इसके प्रमुख लक्षणों में लिवर के ऊतकों (Muscles) की कोशिकाओं का सूज जाना है, जब रोग अन्य लक्षणों के साथ-साथ लिवर से हानिकारक पदार्थों के निष्कासन, रक्त की संरचना के नियंत्रण और पाचन-सहायक पित्त (Digestiv Bile) के निर्माण में लिवर के कार्यों में बाधा डालता है तो व्यक्ति विशेष की तबीयत ख़राब हो जाती है।
हैपेटाइटिस अतिपाती (Acute) हो सकता है, यदि यह छः महीने से कम समय में ठीक हो जाये। अधिक समय तक जारी रहने पर चिरकालिक (Chronic) हो जाता है और बढ़ने पर प्राणघातक भी हो सकता है।
हैपेटाइटिस का वायरस छह प्रकार का होता है :
गर्भावस्था के दौरान हैपेटाईटिस, खासकर हैपेटाइटिस बी काफी खतरनाक होता है। इससे बच्चे के विकास पर असर तो पड़ता ही है परन्तु इससे उससे पहले ही माँ की मौत हो जाती है। ऐसे में गर्भपात की जरूरत भी पड़ सकती है।
हैपेटाइटिस को सामान्यत: पानी से होनी वाली बीमारी माना जाता है जो पूरी तरह गलत है। डॉक्टरों के अनुसार निम्न कारणों से भी हैपेटाइटिस हो सकता है:
हैपेटाइटिस से बचाव के लिए साफ-सफाई बेहद आवश्यक है। खाने और पीने में हमेशा साफ चीजों के प्रयोग से इससे बचा जा सकता है। हैपेटाइटिस से बचाव के अन्य उपाय निम्न हैं: