शरीर में खून का थक्का (Blood Clotting) बनने और उसके घुलने की प्रक्रिया सहज रूप में चलती रहती है। हमारे प्लाज्मा में मौजूद प्लेटलेट्स और प्रोटीन, चोट की जगह पर रक्त के थक्के का निर्माण करके रक्त के बहाव को रोकते हैं। अगर ऐसा न हो तो चोट लगने पर शरीर में खून का बहाव रोकना कठिन हो जाए। आमतौर पर चोट के ठीक होने पर रक्त का थक्का अपने आप घुल जाता है। पर जब इस प्रक्रिया में अड़चन आती है तो खून का थक्का बना ही रह जाता है।
बिना उपचार लंबे समय तक रहने पर रक्त के थक्के धमनियों या नसों में चले जाते हैं और शरीर के किसी भी हिस्से जैसे आंख, हृदय, मस्तिष्क, फेफड़े और गुर्दे आदि में पहुंच उन अंगों के काम को बाधित कर देते हैं। दिमाग में खून का थक्का पहुंचने पर भारी नुकसान पहुंचाता है।
खून का थक्का केवल चोट लगने के कारण ही बनता। इसके कई अन्य कारण भी होते हैं जैसे :
समाचार पत्र 'द मिरर' के अनुसार एक नए अध्ययन में कहा गया है कि जो लोग लगातार 10 घंटे तक काम करते हैं और इस दौरान कोई विराम नहीं लेते तो उनमें खून का थक्का जमने का खतरा दोगुना हो जाता है। यह अध्ययन 21-30 साल आयु सीमा के लोगों पर किया गया। अध्ययन में शामिल 75 फीसदी लोगों ने माना कि वे काम के दौरान विराम नहीं लेते।
खून का थक्का बनने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह करें। यह बीमारी बेहद खतरनाक हो सकती है इसलिए पहले अच्छी तरह जांच कराने के बाद ही उपचार शुरु करें।