गठिया (Gout) या वातरक्त एक सामान्य रोग है जिसमें रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और चुभन जैसी तेज पीड़ा होती है। यह रोग रक्त में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने से होता है,जिसका प्रमुख कारण यूरिक एसिड अपचयन (Metabolism) से है।
जोड़ हड्डियों से बने होते हैं जो एक कैप्सूल यानि संपुट में होते हैं। इस कैप्सूल के ऊतक (Tissue) एक प्रकार का चिकना द्रव्य बनाते हैं जिसे सायनोवियल फ्लूड (Sinovial Fluid) कहा जाता है।
इसी फ्लूड की सहायता से उंगलियों के जोड़ आसानी से काम करते हैं। इसी द्रव्य पर कैप्सूल के अंदर के ऊतक भी निर्भर करते हैं। गठिया (Gathiya) की समस्या उस समय पैदा होती है जब शरीर बहुत ज्यादा यूरिक एसिड बनाने लगता है और उसके कण कैप्सूल के अंदर पहुंचने लगते हैं।
गठिया (Gathiya) की शुरूआत सबसे पहले पंजों से होती है। अधिकांश रोगियों (लगभग 50%) में पैर के अंगूठे के जोड़ (मेटाटारसल-फेलेंजियल जोड़) में तकलीफ होती है। तब इसे पोडोग्रा (Podagra) भी कहते हैं। कुछ समय के बाद इसके कण शरीर के दूसरे जोड़ों तक फैल जाते हैं और यही दर्द बढ़ता हुआ कोहनी, घुटनें, हाथों की उगुंलियों के जोड़ों और ऊतकों तक पहुँचता है।
जोड़ों में रात को अचानक बहुत तेज दर्द होता है और सूजन आ जाती है। जोड़ लाल और गर्म महसूस होता है। साथ में बुखार और थकावट भी हो सकती है। गठिया का दौरा अमूमन 5-7 दिनों में ठीक हो जाता है। गठिया 75 प्रतिशत वंशानुगत होता है और यह ज्यादातर पुरूषों में पाया जाता है।
गठिया के रोगियों को रक्तचाप, डायबिटीज, मेटाबोलिक सिन्ड्रोम, वृक्क रोग और हृदय रोग का खतरा अधिक रहता है। यदि उपचार नहीं किया जाये तो यह धीरे-धीरे दीर्घकालीन और स्थाई रोग बन जाता है।
जोड़ों की सतह क्षतिग्रस्त होने लगती है। अक्षमता और अपंगता बढ़ जाती है। साथ ही शरीर में कई जगह (जैसे कान, कोहनी आदि) यूरिक एसिड जमा होने से दर्दहीन गांठें (Tophi) बन जाती हैं। यदि गुर्दे में पथरी बन जाये तो स्थिति और जटिल हो जाती है। ऐसे में किडनी खराब (Kidney Failure) होने का खतरा बढ़ जाता है।
गठिया रोग को जीवनशैली से जुड़ा रोग माना जाता है। अधिकांश मामलों में इसके मुख्य कारण निम्न होते हैं:
जीवनशैली :
कई रोग भी ऐसे होते हैं जिनकी वजह से गठिया रोग हो जाता है। यह रोग निम्न हैं:
गठिया से बचाव का सबसे बढ़िया उपाय है स्वस्थ जीवनशैली अपनाना। गठिया होने पर निम्न बातों का ध्यान भी रखना चाहिए:
बार-बार पड़ने वाले दौरों (Attack) को रोकने के लिए डॉक्टर की सलाह से यूरिक एसिड कम करने की दवाइयां ले सकते हैं।