लघुपोषकों के अंतर्गत विटामिनों एवं खनिजों का समावेश होता है। बहुत सुक्षम मात्राओ में इनकी आवश्यकता होने के कारण इन्हे लघुपोषक कहा जाता है। इनकी आवश्यकता 1 मिलीग्राम के अंश से लेकर कुछ ग्राम तक होती है।
शरीर की कोशिकाओ एवं ऊतकों के उपयुक्त्त चयापचय एवं उनके ठीक प्रकार से कार्य करने के लिए इनकी आवश्यता होती है।
विटामिन बहुत से आहारों में पाए जाने वाले कार्बनिक यौगिकों का एक वर्ग होता है। विटामिन शरीर के अच्छे स्वास्थ्य को बनाये रखने एवं सामान्य कार्यो के लिए बहुत ही सुक्षम मात्राओ में आवश्यक होता है, इसलिए इन्हे लघुपोषको की श्रेणी में रखा गया है। यद्यपि इनसे शक्ति उत्पन्न नही होती, न ही ये शरीर का निर्माण करते है।
विटामिन 6 प्रकार के होते है:
प्रत्येक विटामिन का करने के लिए एक विशिष्ट कार्य होता है और किसी भी विशेष विटामिन की कमी होने पर विशिष्ट न्यूनता रोग उत्पन्न हो जाते है।
विटामिनों को दो वर्गो में विभिजित किया गया है:
शरीर में लगभग 24 प्रकार के खनिज (24 Type of Minerals) होते है।
लगभग 20 प्रकार के खनिज तत्त्वों को हम भोजन के द्वारा ग्रहण करते है।
खनिज पृथ्वी से उत्पन्न होने वाले अकार्बनिक (Inorganic), समांग ठोस पदार्थ (Uniformly Solid Material) होते है।
मुख्य खनिज तत्त्व:
खनिज के मुख्य कार्य निम्न प्रकार से है:
कुछ खनिज शारीरिक दर्वो में पाये जाते है और शरीर-क्रियात्मक कार्य करते है तथा परसरणी दबाव बनाये रखते है।
अस्थियों (Bones) एव दाँतो (Teeth) जैसी कड़ी संरचना के निर्माण के लिए कैल्सियम (Calcium), फस्फोरस (Phosphorus)और मैग्नीशियम (Magnesium) जैसे खनिज आवश्यक है।
कुछ की आवश्यकता विशिष्ट कार्य के लिए होती है, उदाहरण के लिए आयरन (Iron) रक्त निर्माण के लिए आवशयक है।