हींग (Asafoetida) हर घर में पाई जाती है। यह न केवल भोजन को स्वादिष्ट (Tasty)बनाती है बल्कि सुपाच्य (Digest able) भी बनाती है। वैसे कई लोग हींग को केवल रसोईघर का मसाला समझते हैं और इसके औषधीय महत्त्व (Medical Properties) से परिचित नहीं हैं। बाराहमासी (Perennial) हींग की खेती ज्यादातर काबुल और खुरासान, ईरान, अफगानिस्तान, तुर्केमिस्तान, बलूचिस्तान आदि देशों के पर्वतीय क्षेत्रों में होती है। भारत के कश्मीर और पंजाब राज्य के कुछ हिस्सों में भी हींग की खेती की जाती है।
हींग के पत्तों और छाल में हल्की सी चोट देने से भी दूधनुमा पदार्थ निकलता है, जिसे पेड़ों की छाल या पत्तों पर सुखा लिख जाता है। सूखने के बाद हींग (Hing) तैयार होती है। सौंफ प्रजाति के इस पौधे की ऊंचाई 1 से 1.5 मी तक होती है। इस पौधे के भूमिगत प्रकंदों व ऊपरी जड़ों से निकलने वाले शुष्क वानस्पतिक दूध को हींग के रूप में प्रयोग किया जाता है। कच्ची हींग का स्वाद लहसुन से मिलता जुलता होता है लेकिन इसे व्यंजन में पकाने के बाद यह खाने का स्वाद बढ़ा देती है।
हींग में सल्फर (Sulphar) अधिक मात्रा में होने के कारण इसकी गंध बहुत तेज होती है और स्वाद तीखा व कटु होता है। मगर आयुर्वेद (Ayurved) में जो हींग प्रयोग की जाती है वह हीरा हींग (Heera heeng) होती है, इस हींग को सबसे अच्छा माना जाता है। हींग चार प्रकार की होती हैं कंधारी हींग, यूरोपीय वाणिज्य हींग, भारतवर्षीय हींग और वापिंड हींग। हींग का रंग सफेद (White), हलका गुलाबी और पीला व सुरखी मायल जैसा होता है।
कैसे बनती है हींग : पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले फेरूल फोइटिडा (Ferula Foetida) के पौधे से रस निकालकर उसे किसी बर्तन, पेड़ों की छाल या पत्तों में निकालकर सुखा लिया जाता है। सुखा लेने के बाद उसे या तो टुकड़ों में या चूर्ण के रूप में तोड़ कर बाजारों में बेचा जाता है।
चुटकी भर हींग के फायदे बड़े
हींग (Asafetida) की छोटी सी डिबिया में स्वास्थ्य संबंधी कितने ही गुण बंद होते हैं। रोजाना के खाने में चुटकी भर हींग इस्तेमाल करके खाने का जायका तो बढ़ाया ही जा सकता है, साथ ही स्वास्थ्य भी बेहतर बनता है। अक्सर हींग (Hing) का इस्तेमाल, दाल या सब्जी में तड़का लगाने में किया जाता है लेकिन आयुर्वेदिक दवाओं (Ayurveda Medicine) में भी हींग का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में किया जाता है। आइए आपको बताते हैं चुटकी भर हींग के कितने स्वास्थ्य लाभ हैं।
अपच होती है दूर - Indigestion
हींग में एंटी-इनफ्लेमटरी (Anti-inflammatory) और एंटी ऑक्सीडेंट (Antioxidant) गुण होते हैं तो खराब पेट, एसिडिटी, पेट के कीड़े, अपच, पेट के दर्द आदि समस्याओं में राहत पहुंचाते हैं। रोजाना हींग के इस्तेमाल से खाना सुपाच्य हो जाता है।
अनियमित पीरियड - Irregular Periods
हींग में मौजूद एंटी इनफ्लैमेटरी गुण अनियमित पीरियड और पीरियड के दौरान होने वाली अन्य समस्याओं से निजात दिलाते हैं। इतना ही नहीं महिलाओं को होने वाली अन्य समस्याओं जैसे ल्यूकोरिया (Leucorrhoea) में भी राहत मिलती है।
कंजेस्शन से मिलती ही राहत - Chest Congestion
हींग में प्राकृतिक रूप से बलगम (Cough) को दूर करने की क्षमता होती है। हींग को शहद (Honey) और अदरक (Ginger) के साथ मिलाकर खाने से खांसी, ब्रोंकाइटिस (Bronchitis), चेस्ट कंजेस्शन आदि दूर होते हैं। हींग को एक बेहद शक्तिशाली श्वसन उत्तेजक कहा जाता है।
यौन समस्याओं में लाभकारी - Sexual Disease
हींग का इस्तेमाल पुरूषों में शीध्रपतन, स्पर्म की कमी, नपुंसकता आदि के उपचार के लिए भी किया जाता है। रोजाना एक गिलास गर्म पानी में थोडी सी हींग मिलाकार पीने से शरीर में खून का दौरा तेज होता है और लिबिडो (Libido) भी बढ़ता है। रोज के खाने में हींग का इस्तेमाल सेक्स से जुडी समस्याओं को कम करता है।
हाई ब्लड प्रेशर रहता है कंट्रोल - Control High Blood Pressure
हींग में मौजूद कोमरिन्स (Coumarins) तत्व, हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। यह खून को पतला करके खून का फ्लो बढ़ाता है जिससे खून के थक्के नहीं जमते। इससे कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) और ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) घटता है, इसी कारण हाइपरटेंशन से बचाव होता है।
किसी भी प्रकार के दर्द से राहत - Relief in pain
हींग के सेवन से शरीर में किसी भी प्रकार के दर्द से राहत मिलती है। दांत दर्द, माइग्रेन, पीरियड, या पेट दर्द, हींग में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट और दर्द निवारक तत्व हर प्रकार के दर्द में राहत देते हैं।
ब्लड शुगर लेवल होता है कम - Decrease Blood Sugar Level
हींग के एंटी-डायबिटक तत्व शरीर में ब्लड शुगर का लेवल कम कर देते हैं। हींग इंसुलिन (Insulin) को छिपाने के लिए अग्नाशय की कोशिकाओं को उत्तेजित करती है जिससे ब्लड शुगर लेवल घटता है।
यूं तो हींग के फायदे ही फायदे हैं लेकिन जैसा कि कहा गया है अति किसी भी चीज की नुकसान ही देती है। इसके अलावा कुछ स्वास्थ्य समस्याएं और शारीरिक परिवर्तनों के समय भी हींग के सेवन को वर्जित बताया गया है। इतना ही नहीं हींग के सेवन कम मात्रा में किया जाना ही लाभप्रद होता है, एक बार में अधिक हींग का प्रयोग भी नुकसान देता है। हींग के अधिक प्रयोग से सीने में जलन (Hearburn) या एसिडिटी (Acidity), सिरदर्द, बर्पिंग या डकार (Burping), दस्त (Loosemotion) आदि समस्याएं देखी गई हैं।
क्यों होती है हींग नुकसानदायक?
जब हींग के इतने फायदे हैं तो भला यह नुकसानदायक कैसे हुई? तो इसका जवाब है आयुर्वेद में। आयुर्वेद के अनुसार, हींग की तासीर बहुत गर्म होती है, जिसका अर्थ यह है कि इसके सेवन के बाद यह शरीर के अंदर गर्मी पैदा करती है। इसके गर्म स्वभाव के कारण के कारण ही इससे कुछ नुकसान देखने को मिलते हैं। आइए जानते हैं हींग के अन्य साइड इफेक्ट
गर्भावस्था और स्तनपान - Pregnancy & Breastfeeding
हींग गर्भाशय के संकुचन का कारण हो सकती है और गर्भपात के लिए जिम्मेदार भी हो सकती है। इसलिए, गर्भावस्था में इसका सेवन असुरक्षित माना जाता है। हींग में मौजूद फेरयूलिक (Ferulic) एसिड और अन्य रसायन स्तन के दूध में विकार ला सकते हैं। इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए यह शिशुओं में खून संबंधी विकारों को भी बढ़ा सकती है। इसलिए, गर्भावस्था के साथ स्तनपान में भी हींग का उपयोग असुरक्षित है।
रक्तस्राव विकार - Bleeding disorders
हींग के बेहद गर्म होने के कारण खून बहने की संभावना बढ़ सकती है इसलिए यदि आप खून से संबंधित किसी भी विकार से पीड़ित हैं तो हींग का प्रयोग न करें।
मिर्गी - Epilepsy
मिर्गी के रोग के दौरान भी इसका प्रयोग नियंत्रित मात्रा में करना चाहिए।
हींग खून के बहने या रक्त के थक्का जमने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है। इसलिए सर्जरी से कम से कम 14 दिनों पहले इसे लेना बंद कर देना चाहिए तथा सर्जरी के बाद चिकित्सक से बिना पूछे इस्तेमाल न करें।
• पेट के छाले (बड़ी खुराक लेने पर)
• अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis)
• पेट खराब (Stomach upset)