अ-शोक यानि कोई शोक नहीं। संस्कृत में अशोक का अर्थ होता है जो शोक या दुख नहीं दे और यह अर्थ अशोक के पेड़ (Ashoka or Saracaka Indica) के औषधीय गुणों से प्रमाणित हो चुका है। भारतीय संस्कृति और परंपरा में यह एक पवित्र वृक्ष माना गया।
गृह प्रवेश हो या घर में कोई शुभ कार्य अशोक के पत्ते घर में टांगे जाते हैं। इस पवित्र वृक्ष का पौराणिक महत्व रामायण काल से ही है। भगवान राम की पत्नी सीता को जब राक्षस रावण उठा कर लंका ले गया था तो सीता को लंका में अशोक के वृक्ष के नीचे ही रखा था, जो अशोक वाटिका के नाम से प्रसिद्ध है।
कहा जाता है कि भगवान बुद्ध का जन्म भी अशोक वृक्ष के नीचे ही हुआ था। यही वजह है कि दुनिया के सभी बौद्ध विहारों में अशोक के वृक्ष लगाए गए हैं। हिन्दू मंदिरों में भी धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अशोक के पेड़ लगाए जाते हैं।
अशोक के पत्ते और फूल काफी सुंदर और आकर्षक होते हैं। फूल पहले पीले और पकने के बाद एकदम सुर्ख लाल हो जाते हैं। यही वजह है कि अशोक के पेड़ को प्रेम को प्रतीक भी कहा गया है। प्रेम के ईश्वर भगवान कामदेव को अशोक के फूल काफी पसंद थे और उन्होंने प्रेम और काम के लिए जिन पांच फूलों की चर्चा की है उसमें अशोक के फूल भी शामिल हैं।
अशोक के पेड़ का बॉटनिकल नाम Saracaka Indica है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में अशोक के पत्ते, छाल का सबसे ज्यादा महत्व है। अशोक के पत्ते और छाल से स्त्री रोग की सबसे ज्यादा दवाईयां बनती हैं।
चरक संहिता (100 एडी) में अशोक से बनी दवाईयों को गर्भाशय की बीमारी, स्त्री रोग और दर्द में खाने की सिफारिश की गई है। पेशाब में जलन, पेशाब के रास्ते में दर्द, पेशाब के रास्ते से खून आना, पेशाब में पथरी, गर्भाशय में ब्लीडिंग, गर्भाशय में दर्द, माहवारी में गड़बड़ी, ल्यूकोरिया समेत स्त्रियों के कई सारे रोगों के इलाज में अशोक के पत्ते और छाल से बनी दवाइयां रामबाण की तरह काम करती हैं।
इसके अलावा बवासीर, डायबिटीज, डिस्पेशिया, अपच, खून में गड़बड़ी, चोट, ट्यूमर, सूजन, अल्सर, जहरीले कीड़ों के काटने समेत त्वचा संबधी कई तरह की बीमारियों में अशोक के पेड़ से बनी दवाईयां काफी असरदार होती हैं।
अशोक के पेड़ की सूखी छाल में टेनिन (Tannins), स्टीरोल (Sterol), केटेकोल (Catechol) और कई ऑर्गेनिक कैल्शियम कंपाउड होते हैं। छाल में एल्यूमुनियम, स्ट्रोनियम, कैल्शियम, आइरन, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, पोटैशियम, सोडियम और सिलिका भी पाई जाती है।
स्त्री रोग - Ashoka for Gynecological Problems
स्त्री की माहवारी में हुई गड़बड़ी जैसे ज्यादा ब्लीडिंग और दर्द में अशोक के पत्ते और छाल से बनी दवा काफी असरदार होती है। पेट के दर्द, मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द और गर्भाशय में ऐंठन समेत स्त्री के सभी रोगों में अशोक के पत्ते और छाल से बनी दवाइयां काफी फायदेमंद होती है।
अशोकारिष्ट स्त्री रोग के इलाज के लिए काफी प्रचलित दवा है। यह गर्भाशय की बिमारियों के लिए टॉनिक है। गर्भपात और अनियमित माहवारी से हुई परेशानी में यह काफी असरदार है। आयुर्वेद में ल्यूकोरिया, सिस्ट और कफ के लिए अशोका के पत्ते और छाल से बनी दवाओं को नियमित रुप से सेवन करने की सलाह दी गई है।
ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम - Ashoka for Blood Circulation System
अशोक से बनी दवाइयों के सेवन से ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम या रक्त परिसंचरण तंत्र ठीक रहता है और इससे दिल की बीमारियों का खतरा कम रहता है। इससे हार्ट की मांसपेशियां भी मजबूत रहती है।
किडनी और पेशाब संबधी रोग - Ashoka for Kidney and Urine Related Diseases
अशोका के पत्तों और छाल से बनी दवाइयों के सेवन से पेशाब संबधी रोग दूर होते हैं। खासकर पेशाब करने के दौरान दर्द, और पेशाब के रास्ते में पथरी होने पर इससे बनी दवाई काफी फायदेमंद होती है। इसके सेवन से किडनी भी ठीक से काम करती है।
पेचिश - Ashoka for Dysentery
अशोक के फूल से निकली रस पेचिश और शूल की अचूक दवा है। खासकर अगर पाखाने के साथ खून, आंव और पोटा आ रही है तो अशोक के फूल से निकले रस के सेवन से यह हमेशा के लिए ठीक हो जाती है।
बवासीर - Ashoka for Piles
बवासीर के लिए अशोक के छाल से बनी दवा रामबाण की तरह काम करती है। यह दवा बनाने के लिए 100 ग्राम छाल से बने पाउडर, आधा लीटर पानी और 50 एमएल दूध चाहिए। तीनों को मिला कर तब तक उबालें जब तक कि घोल 100 ग्राम के आसपास बच जाए। रोजाना तीन बार इसके सेवन से बवासीर खत्म हो जाती है।
दर्द - Ashoka for Pain
अशोक के पत्ते और छाल के अर्क में दर्द निवारक गुण होता है। छाल को पीस कर लेप लगाने से चोट और किसी भी तरह के दर्द में आराम मिलती है।
त्वचा संबधी समस्या - Ashoka for Skin Problems
अशोक के पत्ते और छाल से बने पेस्ट या जूस लगाने से त्वचा में रौनक आती है। अगर स्किन में जलन हो तो भी इसे आजमाएं, काफी ठंढक मिलेगी। यह शरीर से विषैले पदार्थों (Toxins) को बाहर निकालती है और खून को साफ करती है। स्किन एलर्जी में भी यह काम करती है।
वैसे आयुर्वेद में तो अशोक को कोई शोक या दुख नहीं देने वाला कहा गया है। अशोक के पेड़ से बनी दवा सुरक्षित है। मगर गर्भवती और बच्चे को दूध पिलाने वाली स्त्री को इससे बनी दवा का प्रयोग नहीं करनी चाहिए।