घृत कुमारी (ghritkumari) या ग्वार पाठा (gwarpatha) का वैज्ञानिक नाम एलोवेरा (Aloevera) है। एलोवेरा तना रहित या बहुत छोटे तनों के साथ तेजी से फैलने वाला पौधा है जो लम्बाई में 60 से 100 सेंटीमीटर तक बढ़ता है। यह 5000 वर्ष पुरानी औषधि है जिसकी 250 उपजातियां हैं। इनमें से कुछ ही औषधीय गुण वाली होती हैं जिनमें सबसे प्रभावी प्रजाति Barbadensis Miller है।
हमारे शरीर को 21 एमिनो एसिड की जरुरत होती है जिसमें से 18 केवल एलोवेरा में ही मिल जाते हैं। एलोवेरा की पत्तियां घनी और चमकदार होती हैं। एलोवेरा का एक्सट्रेक्ट कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाने और आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में होता है।
1. त्वचा में निखार- एलोवेरा का एक गिलास जूस रोजाना पीने से चिकनी, मुलायम, बेदाग़ और स्वस्थ त्वचा पा सकते हैं। एलोवेरा का जूस बढ़ती उम्र के निशानों को भी कम करता है और त्वचा के सेल्स की मरम्मत करता है। एलोवेरा जेल जलने और कटने पर भी लाभकारी है।
2. पाचन में सुधार- एक चम्मच एलोवेरा कब्ज को दूर करता है। एलोवेरा ऐसे जरूरी बैक्टीरिया इंट्रोड्यूस करता है जो कि आपकी पाचन क्रिया को मजबूत करते हैं जिससे कब्ज जैसी दिक्कतें नहीं आती।
3. वजन कम करने में- एलोवेरा पचने में समय लेता है। जिससे शरीरको एनर्जी मिलती है और वजन कम होता है। इम्यून सिस्टम रेगुलेट होता है और शरीर से विषैले पदार्थों का डिटॉक्सीफिकेशन होता है क्योंकि एलोवेरा में एंटी ऑक्सीडेंट गुण भी पाये जाते हैं।
4. मुहांसों का इलाज- एलोवेरा के एंटीसेप्टिक गुण मुँहासे को कम करने में मदद करते है। यह पूरी तरह से मुँहासे का इलाज नहीं करते लेकिन काफी हद तक सूजन और त्वचा की लालिमा को कम कर देता है। इसके रस या जेल को मुँहासे का इलाज करने के लिए सीधे त्वचा पर लगा सकते हैं।
5. सनबर्न- एलोवेरा जेल में दो हार्मोन, Axim और Gibberellins मिलते हैं जो कि सूरज से झुलसी त्वचा की रक्षा करते हैं। यह त्वचा की सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करते हैं जो कि त्वचा के घावों को जल्दी भरते हैं।
6. प्राकृतिक मॉइश्चराइजर- एलोवेरा सूखी त्वचा के लिए एक प्राकृतिक मॉइस्चराइजर के रूप में कार्य करता है। एलो वेरा जेल सूखी त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद है। एलोवेरा में प्राकर्तिक रूप से मॉइस्चर बंद रहता है यह जेल त्वचा को हाइड्रेटेड रखता है जिससे त्वचा लचीली बनती है।
यह त्वचा को ऑक्सीजन प्रदान करके त्वचा के ऊतकों को मजबूत और स्वस्थ त्वचा रखता है।
7. अंडर आई डार्क सर्किल के लिए- एलोवेरा जेल में आँख के लिए जरुरी विटामिन ई, ए, सी और विटामिन बी12 और कई के आवश्यक विटामिन पाये जाते हैं। इसके पौष्टिक जेल में मैग्नीशियम, कैल्शियम, जिंक और अमीनो एसिड जैसे खनिज है।
8. होठों का प्राकृतिक लिप बाम- एलोवेरा का लिप बाम बहुत फायदेमंद होता है।
9. एलोवेरा के बालों के लिए लाभ- बालों के झड़ने के इलाज के लिए एलोवेरा प्राचीन मिस्र के समय से ही प्रयोग किया जा रहा है। एलोवेरा में बालों को तेजी से बढ़ाने वाले एंजाइम शामिल हैं। एलोवेरा में proteolitic एंजाइम पाया जाता है जो सिर की मृत त्वचा कोशिकाओं के उन्मूलन के लिए काम करता है।
एलोवेरा बालों की नमी को बरकरार रखता है जिससे बाल मजबूत और चमकदार बनते हैं। बालों में रूसी की समस्या से निपटने और खुश्क बालों के लिए भी एलोवेरा बेहद लाभकारी है।
10. एलो वेरा सूजन और लालिमा को कम करने में मदद करता है।
ऐलोवेरा (Aloevera) का उपयोग लगभग हर बीमारी के इलाज में संभव है, फिर भी कुछ परिस्थितियों में ऐलोवेरा फायदे की जगह नुकसान भी पहुंचा सकता है। ऐसे में ऐलोवेरा का प्रयोग करने से पहले हमेशा ही चिकित्सक का परामर्श लेना जरूरी है। आइए आपकी जानकारी के लिए बताते हैं कि किन परिस्थितियों में ऐलोवरा का प्रयोग नहीं करना चाहिए:
1. एलर्जी - Allergy
यदि आपको लहसुन (Garlic), प्याज (Onion) या टयूलिप (Tulip) आदि से एलर्जी है तो संभव है आपको ऐलोवरा भी सूट नहीं करेगा। ऐलोवेरा भी लिलियासे फेमिली (Liliaceae family) से आता है जिससे लहसुन, और प्याज भी आते हैं. ऐलोवरा जेल के लंबे समय तक इस्तेमाल करने से पर पित्ती, पलकों पर लालिमा, और त्वचा में सूजन आदि समस्याएं देखी गई हैं।
2. रक्त संबंधित समस्याएं - Blood related problems
ऐलोवेरा रक्त में शर्करा की मात्रा कम कर सकता है। मधुमेह या हाइपोग्लाइसीमिया (Diabetes or Hypoglycemia) से पीड़ित लोगों को सावधानी पूर्वक या चिकित्सक के परामर्श के बाद ही इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। ऐलोवेरा के अधिक इस्तेमाल से रक्तस्त्राव (Bleeding) या रक्त में विकार (Blood infection) का खतरा भी बढ़ सकता है।
3. हृदय संबंधी बीमारी में न करें इस्तेमाल - Do not use in heart related disease
दिल की बीमारी या इलेक्ट्रोलाइट (Heart Disease or Electrolyte Abnormalities) असामान्यताओं से पीड़ित रोगियों को एलोवीरा का प्रयोग सावधानी से करने की सलाह दी जाती है।
4. गर्भावस्था और स्तनपान - Pregnancy and Breastfeeding
गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान भी ऐलोवेरा कम से कम प्रयोग करना चाहिए।
अन्य साइड इफेक्ट - More side effects
नोट : ऐसी परिस्थितियां ज्यादा मात्रा में ऐलोवेरा के इस्तेमाल से या फिर गलत तरीके से या बिना चिकित्सक के परामर्श के ऐलोवेरा के इस्तेमाल से होना संभव है। सीमित मात्रा में ऐलोवरा का प्रयोग कभी हानिकारक नहीं होता। किसी भी जड़ी बूटी के प्रयोग से पहले चिकित्सक का परामर्श आवश्यक है। यहां यह भी जानना आवश्यक है कि ऐलोवेरा की ही किस्मों को खाया जा सकता है।